आलमबाग युद्ध के बाद खून से लाल हो गई थी कैसरबाग की सफेद बारादरी, दो दिन तक चला था भयंकर युद्ध


Lucknow famous places :- 1857 में आलमबाग युद्ध के बाद अंग्रेजों की फौज ने शहर में प्रवेश किया। नाका हिंडोला होते हुए अंग्रेजी फौज कैसरबाग में दाखिल हुई। चारों तरफ से अंग्रेजी सेना ने कैसरबाग को घेर लिया था। बेगम हजरत महल के नेतृत्व में हुए कैसरबाग युद्ध में सैकड़ों की संख्या में क्रांतिकारी शहीद हुए। इतिहास के पन्नों में कैद कैसरबाग युद्ध अंग्रेजी शासन के लिए बड़ी चेतावनी थी।

पद्मश्री योगेश प्रवीन बताते हैं कि कैसरबाग युद्ध से ठीक पहले क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी सेना की एक टुकड़ी को आलमबाग में रुकने को मजबूर कर दिया था। जबकि दूसरी टुकड़ी कैसरबाग के उत्तरी व पूर्वी क्षेत्र में दाखिल होने में कामयाब हो गई। जनरल नील के साथ जो सिपाही कैसरबाग पहुंचे, क्रांतिकारियों ने उनका भी रास्ता रोक लिया। अंग्रेजी सेना के शहर में प्रवेश करते ही मोती महल, खुर्शीद मंजिल व कैसरबाग में तोपें गरजने लगीं। अंग्रेजी सेना के करीब 722 सिपाही मारे गए। इसके अलवा सैकड़ों क्रांतिकारी भी शहीद हुए। इनकी शहादत की गवाह सफेद बारादरी भी उस वक्त खून से लाल हो गई।

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बेगम ने हिला दी अंग्रेजों की नींव :

बेगम की अगुवाई में क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों से लोहा लिया। क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिलाकर रख दी लेकिन अंत में युद्ध के दौरान अंग्रेजी हुकूमत ने कई क्रांतिकारियों को पकड़ लिया था। जिनमें मौलवी रसूल बक्श, हाफिज अब्दुल समद, मीर अब्बास, मीर कासिम अली और मम्मू खान आदि शामिल थे। इसके अलावा कई गुमनाम क्रांतिकारियों को अंग्रेज हुकूमत ने फांसी की सजा दी।

युद्ध में मारा गया था जनरल नील :

इतिहासकार रवि भट्ट बताते हैं कि कैसरबाग युद्ध में शेर दरवाजे के पास फौज का नेतृत्व कर रहा जनरल नील भी मारा गया। दो दिन तक कैसरबाग में भयंकर युद्ध चला था। जिसमें पहली बार अंग्रेजी सेना को काफी नुकसान हुआ था। युद्ध के दौरान अंग्रेज सिपाही जिस रास्ते से गुजरे थे, वहां क्रांतिकारियों की तोपें लगी हुई थीं।

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